कभी तो.....
कभी आंखें तेरी भी तो नम हुईं होंगी
ज़ख्मी ये भी कहां कम हुई होंगी
कभी तो अँधेरा चीर कर गया होगा
कभी तो रोशनी तेरी भी कम हुई होगी
रास्ते कहाँ तुझे भी सब सीधे मिले होंगे...
ज़ख्मी ये भी कहां कम हुई होंगी
कभी तो अँधेरा चीर कर गया होगा
कभी तो रोशनी तेरी भी कम हुई होगी
रास्ते कहाँ तुझे भी सब सीधे मिले होंगे...