...

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मुझे हक है....
हक नहीं शायद
दुनिया के सामने
तुमको अपना दोस्त कहना....
भरी महफ़िल में
तुम्हारे साथ खड़े रहना....
भीड़ भरी राहों में
तुम्हारे हाथ पकड़ कर चलना...
अपने डीपी में
तुम्हारे तस्वीर रखना...
अपने कविता में
तुम्हारे नाम लिखना...

लेकिन....

मुझे हक है
अपनी दुआओं में
तुम्हे शामिल करना...
अकेले में बैठे
तुम्हारे यादों को गले लगाना...
अपने खयालों में
तुमसे हर पल मिलना....
अपनी भावनाओं में
तुमको महसूस करना...
मुझे हक है....।।

© Amrita's diary