प्रेमधुन
कर्ण के समान लघु किन्तु
उनको एकत्रित करके बनी
मधु सी मीठी
तुम्हारी मुस्कान
मेरी आत्मा के कोने कोने में
संचार करती है
अनंत प्रेम धुन का
जिसकी उत्पति कभी
सीता की करुण पुकार - राम
से अनुभव होति
तो कभी उसका उदगम
प्रतीत होता है मीरा का पवित्र हृदय
सुरभि त्रिपाठी
© All Rights Reserved
उनको एकत्रित करके बनी
मधु सी मीठी
तुम्हारी मुस्कान
मेरी आत्मा के कोने कोने में
संचार करती है
अनंत प्रेम धुन का
जिसकी उत्पति कभी
सीता की करुण पुकार - राम
से अनुभव होति
तो कभी उसका उदगम
प्रतीत होता है मीरा का पवित्र हृदय
सुरभि त्रिपाठी
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