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मेरी कलम ✒️ से डायरी के कुछ पन्ने
जब आह निकलती है इस दिल से तो पूछता कौन है
अपनी अपनी उलझनों में हर शख्स परेशान हैं
बेदर्द कि इस दुनियां में कमी नहीं है

हर किसी को दर्द देना इनकी पहचान है
बेमतलब किसी को सताना अच्छी बात नहीं ---
उसका भी तो दिल है क्या तुम जानते नही

दर्द जब तुम देते है दर्द होता है या नही
आंखों से बहते आंसुओं को क्या तुम देखते नहीं बेमतलब किसी को सताना ---
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तुम कौन हो क्या हो तुम जानते नहीं
औकात तुम्हारी क्या है पहचानते नहीं

संस्कार तुम्हारे क्या है एहसास नहीं होता
बदलना नहीं चाहते यह जानते नहीं
बेमतलब किसी को सताना अच्छी बात
नहीं ---
बड़ी बड़ी बाते करने से इंसान बड़ा नहीं होता
व्यवहार तुम्हारा कैसा है यह जानते क्यों नहीं

बेमतलब किसी को सताना अच्छी बात नहीं ---मिथलेश चांवरियां