...

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शीर्षक - कब समझेगा आत्म।
शीर्षक - कब समझेगा आत्म।

शरीर किसका साथी रहा,
माया किसके संग चला।
रह गया केवल राख बन,
यहाँ जो पाया जो मिला।

चाहत की अंधी दौड़ में,
वस्तु पाने निकला खोखला।
निकल गई उम्र तमाम,
फ़िर भी भरा...