आखरी कश
तू मुझमें शामिल इक नशा था ,
जिस्म की हरारत ,आखों की आयाशी ।
तू लबों की चोट ,तो कभी नाखूनों के निशा...
जिस्म की हरारत ,आखों की आयाशी ।
तू लबों की चोट ,तो कभी नाखूनों के निशा...