...

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तुम्हे क्यु लगा
तुम्हे क्यू लगा टूट जाऊंगी में
तेरे जाने से पीछे छूट जाऊंगी में
जो तेरी पलकों में अब ना होगी
में वो नींद हूं
जो ना देखेगी तेरी आँखे
में वो ख़्वाब हूं
जो कहीं ढूंढ पाएगा ना तू
वो सुकून हूं में
जो देता था तेरी धड़कनों को रफ्तार
वो जुनून हूं में
हां होंगे कुछ अश्क तो
आंखों में भी मेरी
सुन मगर मेरा टूटना
ना होगा तेरे हक में कहीं.......





© ख़्वाहिश