...

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एक तुम हो।
एक तुम हो
नजरअंदाज भी करते हो ....ओर नजर भी रखते हो
देखो तो चांद को ज़रा ... रोज शाम मिलने तो आता है हमसे
एक तुम हो...
दिल में उम्मीद की शम्माए जला कर..
धीरे से माफी मांगकर भुजा देते हो
हा एक तुम हो ...
गले तो मिलते हो मगर रंजिश भी मगर रखते हो।
#poetry_dil_se