...

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हम भी इसी शहर में हैं
हम भी इसी शहर में हैं
सुबह और दोपहर में हैं
महंगी हुई है सद्भावनाएं
यूं मंदी वाली ख़बर में हैं
कौन करें बगावत हमसे
वें सब मेरी नज़र में हैं...