ग़ज़ल, मुश्किल बह़्र / मीटर पर
न तो अ़ज़्म है न कोई सफ़र तिरा क्या बना
मुझे पूछती है हर इक नज़र तिरा क्या बना
कुछ इक आँधियों ने बिखेर दी तेरी ह़सरतें
मगर अब सवाल है, टूट कर , तेरा क्या बना
ये जो आज...
मुझे पूछती है हर इक नज़र तिरा क्या बना
कुछ इक आँधियों ने बिखेर दी तेरी ह़सरतें
मगर अब सवाल है, टूट कर , तेरा क्या बना
ये जो आज...