इश्क़ न आई रास मुझे💔
सारे सपने
धरे के धरे रह गये
जब उन्होंने कहा-
अब हमें, तुमसे मोहब्बत नही
मै उनकी बातों को सुन
फर्श पर पड़े टूटे सपनों को बिखेरने लगा
की कही चुभ ना चाए काँच
खुद को समेटने लगा
इस दौरान, कुछ टुकडा
मेरे मन-मंदिर को भेदता गया
मुझे अंदर ही अंदर कुदेरता गया
मैं बैठा कल्पना लिए-
क्यो ना आई इश्क़ रास मुझे
ये सोचता रहा|
© HindiKavitaOffical
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धरे के धरे रह गये
जब उन्होंने कहा-
अब हमें, तुमसे मोहब्बत नही
मै उनकी बातों को सुन
फर्श पर पड़े टूटे सपनों को बिखेरने लगा
की कही चुभ ना चाए काँच
खुद को समेटने लगा
इस दौरान, कुछ टुकडा
मेरे मन-मंदिर को भेदता गया
मुझे अंदर ही अंदर कुदेरता गया
मैं बैठा कल्पना लिए-
क्यो ना आई इश्क़ रास मुझे
ये सोचता रहा|
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