मजहब की ईदी
रौंदे हुए इच्छाओं को,
एक बार मुट्ठी में भर लेना है,
पहले खूब रोना है,
और फिर आंसू पोंछ लेना है,
अपनी मजहब के विपरीत,
ए ईद
इस बार,
मुझे भी ईदी मनाना है...
© --Amrita
#writopoem
#happy Eid to all living creatures in this earth 😍
एक बार मुट्ठी में भर लेना है,
पहले खूब रोना है,
और फिर आंसू पोंछ लेना है,
अपनी मजहब के विपरीत,
ए ईद
इस बार,
मुझे भी ईदी मनाना है...
© --Amrita
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