...

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बेटा एक वारिस
आज कहूं मैं एक कहानी,
कुछ पहले की रीत पुरानी
आज के समय की नहीं ये,
सालों की है बात पुरानी

बेटा ना हो तो औरत की
सुनी गोद थी मानी जाती ,
इस दुनियां की रीत बेतुकी
औरत को कितना तड़पाती

बेटी का तो उस समय में
मोल नहीं था मानो कोई,
बेटी की बेकद्री देख के
औरत हरदम घुटकर रोई,

आओ तुमको उस समय की,
एक कहानी सुनाती हूं
सागर नहीं दिखला सकती पर ,
एक बूंद तो दिखलाती हूं,

छह बहनें थी प्यारी - प्यारी,
मात - पिता की जान थी सारी
कोई न भाई था उनका ,
इंतजार था उन्हें उसी का

रिश्तेदार और लोग पुराने,
ताने उनको लगे सुनाने
बेटियां नहीं हो सकती वारिश ,
ये पिता को लगे बताने

जो तुमको ना बेटा जन्मे
तो तुम ब्याह दूजा रचाना,
छह बेटी के बाद ही चाहे
बेटा तुमको होगा ही पाना ,

सुन दुनियां की कड़वी बातें,
दुख से भर गई ,दिन और रातें
जब भी राखी का दिन आता,
बहनों के मन को तड़पाता

छोटी बहना थी नादान पर,
इतना वह भी समझती थी
प्रभु ही रक्षक, प्रभु ही मालिक ,
उनकी पूजा करती थी

देखकर उनका दृढ़ विश्वास,
उस प्रभु का दिल भी पिघल गया
हुआ ऐसा चमत्कार कि,
घर रोशन जगमग हो गया

घर जन्मा एक प्यारा लड़का
लड़का बना लाडला सबका ,
मात - पिता और बहनें सारी
बन बैठे उस प्रभु के पुजारी,

धन्यवाद उस प्रभु का जिसने
भर दी उनकी झोली खाली,
मात- पिता को वारिस देकर
नई उमेंगे भर दी न्यारी ,

धन्य हैं हम की रीत है बदली
अब ये सब ना चलता है ,
बेटी हो या जन्मे बेटा
उसी प्यार से पलता है .....







© Munni Joshi