पहचान
सबकी नज़रों में नज़र आने को हर शक़्स बेताब नज़र आता है
तो क्या ग़म अगर दूर है मंज़िल सच होता अधूरा ख़्वाब नज़र आता है
भले ही हट गया सर से साया छिन गई रोटी मगर बीच मझधार माँझी के...
तो क्या ग़म अगर दूर है मंज़िल सच होता अधूरा ख़्वाब नज़र आता है
भले ही हट गया सर से साया छिन गई रोटी मगर बीच मझधार माँझी के...