...

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बिन संघर्ष के कहां जीवन है
मान में एक लक्ष लिए अपनी मंजिलों पर निकल जाना है खोया बहुत कुछ आब बस पाना है ज़िन्दगी का मोड़

कैसा भी हो हमे नही कतराना है आज जैसा कल को नही बनना है ना कभी हार मानी है ना कभी मानना है

जीवन में कोई साथ नहीं देता बस इतना जानना है
हमे बस अपने हिंसलों को ही अपना मानना है
© -शुभम कवि