"रचनात्मक और अराजकता"
#रचनात्मकऔरअराजकता
आज समाज में चहुं ओर अराजकता है फैला
हर मानुष का हृदयं हुआ है कसैला!!
आखिर क्यों कोई सीमा नहीं है किसी विषय की
क्यों आज मानव पतन की राह चल पड़ा!!
आखिर कब कोई न्याय की बात सोची...
आज समाज में चहुं ओर अराजकता है फैला
हर मानुष का हृदयं हुआ है कसैला!!
आखिर क्यों कोई सीमा नहीं है किसी विषय की
क्यों आज मानव पतन की राह चल पड़ा!!
आखिर कब कोई न्याय की बात सोची...