कहना जरुर
*कभी जो आये मन में कोई
बात उसे कहना ज़रूर
न करना वक्त का इंतज़ार
न होना मगरूर ।
जब *पिता* का किया
कुछ दिल को छू जाये
तो *जाकर गले उनके*
*लगना ज़रूर*।
कभी जो आये मन में कोई
बात उसे कहना ज़रूर
बनाये जब *माँ* कुछ
तुम्हारे मन का
*कांपते हाथों को*
*चूम लेना ज़रूर*।
कभी जो आये मन में कोई
बात उसे कहना ज़रूर
जब अस्त व्यस्त होके *बीबी*
भूल कर खुद को
घर संवारती नज़र आये
तो धीरे से उसके कानों में
" *बहुत खूबसूरत हो* "
कहना ज़रूर
कभी जो आये मन...