देखो हो गयी अंधी दुनिया
जाता रोज़ मंदिर-मस्जिद
ढूँढ़ने उस भगवान को
जो मौजूद हर कण कण में है
दीखता नहीं इंसान को
इंसानियत भी खो चूका
इंसान ये कैसा हो चूका
संत महात्मा जगा गए...
ढूँढ़ने उस भगवान को
जो मौजूद हर कण कण में है
दीखता नहीं इंसान को
इंसानियत भी खो चूका
इंसान ये कैसा हो चूका
संत महात्मा जगा गए...