न जाने....
न जाने कहाँ है मेरी मंजिल,
यू हीं व्यर्थ भागी जा रही हुं।
जो मिल नहीं सकता,
उसे पाने की स्वप्न सजा रही हुं।
हर तरफ धुआँ हीं धुआँ है,
फिर...
यू हीं व्यर्थ भागी जा रही हुं।
जो मिल नहीं सकता,
उसे पाने की स्वप्न सजा रही हुं।
हर तरफ धुआँ हीं धुआँ है,
फिर...