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Poem for me!
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रिश्ते कई देखे मैंने
कुछ खुश कुछ उदास है
सब रिश्तों में बहनो से रिश्ता
थोड़ा नटखट तोड़ा खास है

माना माँ बहुत प्यार है देती
कभी-कभी मार भी देती
भाई मैं हूँ न तेरे साथ
यह सिर्फ एक बहन ही कहती

थोड़ा प्यार थोड़ा झगड़ा
उसका हाथ लगे बड़ा तगड़ा
फिर भी लाड़ लड़ाती है
रूठे हम तो हमको मनाती है

कभी खुद भी रुठ ही जाती
कभी जीभ निकाल चढ़ाती
माँ से कभी करे शिकायत
कभी पापा से भी बचाती

माँ जैसा ख्याल वह रखती
बंदर कह कर कभी वह हँसती
कभी मजाक बनाती है
बहने सबको लुभाती है

कभी दोस्त सी राजदार बने
कभी खुशियों की हकदार बने
स्कूल जाने का जब मन न हो
खुद ही कभी बीमार बने

छोटी हो तो बड़ी वह बनती
मां के साथ काम वह करती
बड़ी बहन का स्वभाव निराला
लगती माँ का अजब उजाला

रक्षाबंधन पर प्रेम का धागा वह बांधे
भैयादूज पर उसका तिलक है साजे
अमिट प्रेम की ज्वाला लेकर
देख उसे घर के सब दुख भागे

एक दिन वह भी उड़ जाती है
ससुराल से फिर रिश्ता निभाती है
मुसीबत आए जब भाई पर
सरपट दौड़ी चली आती है

खुदा ने बहनो को बनाकर कर
हम लोगो पर अहसान किया है
सब धन-दौलत से भी बड़ी है वह
हमको देखो कितना धनवान किया है।
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(Poem Written - @Name67)

Thank You For This Amazing Poem Specifically Written for me!
I loved it!❤️