1 views
" ये क्या हुआ"
अनजान सी थी एक राह नई,
मैं पथिक बनकर बस चलता गया,
वो चांद बनकर आसमा में चमकता रहा,
मैं सूरज बनकर बस ढल सा गया,
मैं हारा नहीं किस्मत से अपनी,
बस दो पल के लिए मैं थम सा गया,
मैं दर बदर यूं ना भटका कहीं,
बस हालातों से बेबस मैं सहेम सा गया,
क्या सोचता रहा मैं और क्या होता गया,
जो भी गुजरा इस दिल पे बस ये रोता गया,
© ✍️Writer-S.K.Gautam1346
मैं पथिक बनकर बस चलता गया,
वो चांद बनकर आसमा में चमकता रहा,
मैं सूरज बनकर बस ढल सा गया,
मैं हारा नहीं किस्मत से अपनी,
बस दो पल के लिए मैं थम सा गया,
मैं दर बदर यूं ना भटका कहीं,
बस हालातों से बेबस मैं सहेम सा गया,
क्या सोचता रहा मैं और क्या होता गया,
जो भी गुजरा इस दिल पे बस ये रोता गया,
© ✍️Writer-S.K.Gautam1346
Related Stories
10 Likes
0
Comments
10 Likes
0
Comments