शिकवा नहीं
बहुत बार ज़िन्दगी ने मेरे इम्तिहान लिए है
कितनी ही दफ़ा अश्क़ मुझे सरेआम दिए है
बेशक़ जो भी हुआ फ़िर फ़ायदा मुझकों हीं मिला
तड़पाया जितना भी मुझें उतने ही आराम दिए है
शिकवा नहीं जिस्त से ना कोई भी गिला है मुझें
अँधेरे दिखा के फ़िर मुझें रोशन सहर शाम दिए है
नादानियाँ करता रहा मै हा बेवजह परेशान भी हुआ
ख्वाहिशें ज़रा हीं थी ख़ुशियों के मुझें गुलफाम दिए है
शिद्दत से ज़िंदगी कों हमने ज़ीना जो चाहा तो फ़िर
तस्सवुर से ज़्यादा हमें ख़ुश रहने के पैगाम दिए है
© V K Jain
कितनी ही दफ़ा अश्क़ मुझे सरेआम दिए है
बेशक़ जो भी हुआ फ़िर फ़ायदा मुझकों हीं मिला
तड़पाया जितना भी मुझें उतने ही आराम दिए है
शिकवा नहीं जिस्त से ना कोई भी गिला है मुझें
अँधेरे दिखा के फ़िर मुझें रोशन सहर शाम दिए है
नादानियाँ करता रहा मै हा बेवजह परेशान भी हुआ
ख्वाहिशें ज़रा हीं थी ख़ुशियों के मुझें गुलफाम दिए है
शिद्दत से ज़िंदगी कों हमने ज़ीना जो चाहा तो फ़िर
तस्सवुर से ज़्यादा हमें ख़ुश रहने के पैगाम दिए है
© V K Jain