...

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क्या लगता है?
क्या लगता है तुझको?
आखिर क्या पीछे है छुट रहा?
बंदे तुझको करना था क्या?
और तू किस दंगल में टूट रहा?

जन्म से अच्छी नींव थी तेरी,
फिर मन तेरा क्यों रोता है?
चढ जा ऊंची दीवारों पर,
जब दरबान हृदय का सोता है।

माना थी मुस्किल, राह विरल थी,
पर तेरी सोच भी कहाँ अटल थी?
करके मेहनत हासिल कर सब,
टूटी राह बन जाएगी तब।।
© Aryan Kishu