...

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मुझे ही निहार रहे थे
हुस्न से क्या शिकवा करूँ, मुझे तो हर तरफ मजनू दिख रहे थे

गया था उनका दीदार करने, वहाँ मैखाने में तो हर तरफ जाम छलक रहे थे

किस किस से कहूं अपनी हालत, सब कोई परेशान लग रहे थे

बस मैं ही एक खुश थी, वहाँ तो सब नादान लग रहे थे

इठलाते बल खाते डोलते आँखों की मस्तियाँ, सब मुझे ही निहार रहे थे
© Nits