...

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तेरे खयाल को...
तेरे खयाल को इज़हार बनाकर जीता
तेरी नफ़रत को भी मैं प्यार बनाकर जीता,
बीच रस्तों में बिछड़ जाए मैं वो हाथ नहीं
खुदको मैं तेरा ही हर बार बनाकर जीता।
तेरे खयाल को...
ज़िंदगी रंगों में भीगी सी चुनरिया...