...

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समझ नहीं आता मुझे
समझ नहीं आता मुझे
मैं करूं तो क्या करूं
बता, मैं तुझसे नफरत करूं
या मैं तुझसे प्यार करूं
तेरी किस बात पर बता,
मैं तुझ पर ऐतबार करूं
आज तक मेरे प्यार का,
तूने कुछ सिला तो दिया नहीं
मेरे जिस्म को तो छू गया,
मेरी रूह को तूने छुआ नही
मेरे दिल को खिलौना समझ,
आज तक तू खेलता रहा
तेरी जिंदगी में, मेरे मायने
तो कुछ रहे नही
मेरा वजूद क्या है,
ये सोच के हैरान हूं
जी रही हूँ किस लिए,
ये सोच के परेशान हूँ
जिंदगी अब मेरी,
मुझे बोझ सी लगने लगी
मेरे अपने भी अब मुझे,
पराए से लगने लगे
अपनो के बीच मे,
मैं रहने लगी गैर सी
मेरी आँखें भी,
अब रहने लगी नम सी
मेरी छोटी सी ये दुनिया,
अब मुझमे सिमट के रह गयी
मैं अकेली थी, और अकेली रह गई