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ख्वाहिशें
ख्वाहिशों के दरिया मे
तहर न पाए,
कोइ तो तहरना सिखा दे।
पूरी करेंगे उन
ख्वाहिशों को भी,
अगर कोइ हमे ठहरना सिखा दे।
भगदड़ सी मच गई है
इस जिंदगी मे,
गिरकर उठना उठकर गिरना
कोइ तो संभलना सिखा दे।
छूएंगे उन उचाइयों को भी,
अगर कोइ हमे उढना सिखा दे।
आधा अधूरा सा ज्ञान है सबके पास,
कोइ तो पूरा ज्ञान सिखा दे।
हर हालात मे भी पाएंगे
उन मंज़िलो को,
अगर कोई हमे मंजिल-ए-रोशनी दिखा दे।
© t@nnu
तहर न पाए,
कोइ तो तहरना सिखा दे।
पूरी करेंगे उन
ख्वाहिशों को भी,
अगर कोइ हमे ठहरना सिखा दे।
भगदड़ सी मच गई है
इस जिंदगी मे,
गिरकर उठना उठकर गिरना
कोइ तो संभलना सिखा दे।
छूएंगे उन उचाइयों को भी,
अगर कोइ हमे उढना सिखा दे।
आधा अधूरा सा ज्ञान है सबके पास,
कोइ तो पूरा ज्ञान सिखा दे।
हर हालात मे भी पाएंगे
उन मंज़िलो को,
अगर कोई हमे मंजिल-ए-रोशनी दिखा दे।
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