---पुर्णिका--विजय कुमार पाण्डेय
रख दूं कलम मै क्या ,ये बस का काम नही है।
लिखना लिखाना सच, में खाना आम नही है।
***
लिखते अगर हो व्यंग्य तो कुछ क्रुद्ध हो जायें,
कहते बताते हैं ये कवि का काम नही है।
***
सच ...
लिखना लिखाना सच, में खाना आम नही है।
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लिखते अगर हो व्यंग्य तो कुछ क्रुद्ध हो जायें,
कहते बताते हैं ये कवि का काम नही है।
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सच ...