...

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टिमटिमाते सपने
जीवन में मेरे सपनें ही तो अपने हैं,
सच्चाई से हो अलग ये बड़े अनूठे हैं।

ये हैं तो जीने की इक आस मिलती मुझे,
इनके बिना मेरी सुबह-ओ-शाम अधूरे हैं।

मस्त तितलियों से फूलों पर मंडराते सपने,
चिडियों से पंख फैलाए आसमां में उड़ते सपनें।

भँवरों से गुनगुनाते,गुदगुदाते सपने,
सच से दूर अपना अलग आशियां बनाते सपनें।

न जीतने की चाह न हारने का गम होता है,
सपनों की दुनिया में जीना कितना सरल होता है।

पूरा करने की तमन्ना में इन्हें,जीने की राह मिलती है,
बड़े प्यारे, अनोखे, अपने से लगते ये सपनें।

खोल आंखों को या कर बन्द जब भी देखूं इन्हें,
हरपल नयनों में टिमटिमाते सुंदर से सपनें।

नयी उमंगों, नयी तरंगों का संचार लिए खुद में,
जीने का नया उद्देश्य समझाते मुझे सपने।

Glory❤️

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