...

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आते आते उनका नाम
उनकी आंखो से पैग़ाम आ गया,
उनसे मिलने का अब वक्त आ गया,
इस पहली मुलाकात से मुझे वो पल याद आ गया।

किसी राह के मोड़ पर सायकिलें टकरा जाना,
उनके उन गुलाबी होठों से मुझ पर चिल्लाना ।
फिर धीरे से दुपट्टा संवारते हुए,
लटो को कानों के पीछे लिए जाना।
फिर सॉरी कहते हुए हमारी किताबे समेटना,
फिर हमारा भी उनसे माफ़ी मांगना।
इसपर हम दोनों का हसते हुए सायकिलें उठाना,
फिर झिझकते हुए हमारा उनसे उनका नाम पूछना,
हमारा फ़ैज़ और आपका......सकीना।
फिर मिलेंगे कहकर अपनी राह मूड जाना,
मेरा उन्हें जाते हुए आशिकी भरी निगाहों से देखते रहना।

मुलाकातों का सिलसिला फिर यूहीं शुरू हो गया,
कभी बाजार में तो कभी...