मिट्टी
।। मिट्टी ।।
कहीं चीख-पुकार, कहीं चुप बांटता कौन है?
गली में बेखौफ़, ये मौत बेचता कौन है?
दुबका-सहमा पंछी, है पंख समेट बैठा,
मगर जिंदा को, चिता चढ़ा रहा ये कौन है?...
कहीं चीख-पुकार, कहीं चुप बांटता कौन है?
गली में बेखौफ़, ये मौत बेचता कौन है?
दुबका-सहमा पंछी, है पंख समेट बैठा,
मगर जिंदा को, चिता चढ़ा रहा ये कौन है?...