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"हर मिसरा तेरा हो चला"
यादों ने तेरी मुझसे यूँ लिपटी,
निगाहों को तेरा दीदार हो चला।
इंतजार किया हर राह तेरी
स्पर्श तेरा मेरा हमराह हो चला।
खामोशियां भी गुनगुनाती नग्मे,
नज्म का हर मिसरा तेरा हो चला।
सितारों की महफ़िल सजती नहीं,
अमावस का चांद कहीं खो चला।
इश्क की राह चले नासमझ से,
नजदीकियाँ कम फासला ज्यादा हो चला।
सुलझा जाते कदम चाहे,
बातों का सिलसिला जाने कैसे कसूरवार हो चला।
© सांवली (Reena)
निगाहों को तेरा दीदार हो चला।
इंतजार किया हर राह तेरी
स्पर्श तेरा मेरा हमराह हो चला।
खामोशियां भी गुनगुनाती नग्मे,
नज्म का हर मिसरा तेरा हो चला।
सितारों की महफ़िल सजती नहीं,
अमावस का चांद कहीं खो चला।
इश्क की राह चले नासमझ से,
नजदीकियाँ कम फासला ज्यादा हो चला।
सुलझा जाते कदम चाहे,
बातों का सिलसिला जाने कैसे कसूरवार हो चला।
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