कुछ बातें होतीं हैं फूलों सी...
कुछ बातें होतीं हैं
फूलों सी,
जिनकी यादें भी
महकती हैं ताउम्र
भीनी-भीनी...
मुरझा न जाये
लफ्ज़-लफ्ज़
बिख़र न...
फूलों सी,
जिनकी यादें भी
महकती हैं ताउम्र
भीनी-भीनी...
मुरझा न जाये
लफ्ज़-लफ्ज़
बिख़र न...