...

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।।अनंत सत्ता।।
प्रचंड है रूप तेरा,
पापी थर थर कांपे है,
जग का विलय तुझसे,
वासुकी जग को नापे है,
असुर देवता सम्मान करे
मंथन विष का पान करे।
शिव शक्ति का मिलित है,
जगत तब ही चालित है।
सृष्टि का निर्माण भी तू,
चलन भी तू,विलायन भी तू।
ब्रम्हा विष्णु महेश से बना,
ॐ ध्वनि से ब्रम्हांड है रमा।
करता भी तू,धरता भी तू,
जगत का एकल सत्ता भी तू।
कभी कहे हैं "महेश",कभी "ब्रजेश",
हे! सृष्टि के निर्माता तू ही एक ईश।
समाई यह संसार है तुझमें
फिर भी तू अज्ञात,
सांझ भी तू,तू ही है "प्रभात"।

@jnt