...

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खुशबू मिट्टी की
चाहत यही खुशबू मिट्टी,
की मेरे अंदर उतर जाए,
बरसात का पानी जिस
तरह तुझमे सिमट जाए।

मैं भी भीग लू इसी तरह
ख्वाइशों की बूंदों से,
लफ़्ज़ों में नही,मेरी आँखो
में मेरा ख्वाब नज़र आये।

बहती हवा के आँचल मे, तु
जिस तरह हल्के से लिपट जाए,
चाहत यही खूबियां तेरी,
मेरी आदत में बदल जाये।

सूरज की रोशनी में, तेरा कड़
कड़ स्वर्णिम सा चमक जाए
एक दिन ये नाम मेरा भी जुनून
की रोशनी से चमक जाये।

इस ओर से लेकर उस
तक तेरी छवि नज़र आये
चाहत यही खुशबू मिट्टी
की मेरे अंदर उतर जाए

© Vvians( vaishnavi)