सवाल
कि आज फिर मन कर रहा तेरे सीने से लग के रोने का,
कि मन कर रहा आज चीखने का, चिल्लाने का,
कि मन कर रहा आज फिर वही सवाल दोहराने का,
क्या ढूंढती हैं तेरी आंखे अब मुझे,
क्या तलाश है तुझे भी उन एहसासों का,
हर पल हर लम्हे का हिसाब रखता है क्या,
याद करके वो बातें मन दुखता है क्या,
बिखर चुके उन सपनों को, कभी सपने में समेटा है क्या,
बंजर रेगिस्तान में ख्वाबों के कुछ फूल अब भी चुनता है क्या,
बेमतलब ही यादों में रोते_रोते हंसता है क्या,
बेराग जिंदगी में अब कोई धुन सुन पाता है क्या,
अब उन गलियों में आना भले न हो तेरा मगर,
यादों में कभी मुस्कुराकर...
कि मन कर रहा आज चीखने का, चिल्लाने का,
कि मन कर रहा आज फिर वही सवाल दोहराने का,
क्या ढूंढती हैं तेरी आंखे अब मुझे,
क्या तलाश है तुझे भी उन एहसासों का,
हर पल हर लम्हे का हिसाब रखता है क्या,
याद करके वो बातें मन दुखता है क्या,
बिखर चुके उन सपनों को, कभी सपने में समेटा है क्या,
बंजर रेगिस्तान में ख्वाबों के कुछ फूल अब भी चुनता है क्या,
बेमतलब ही यादों में रोते_रोते हंसता है क्या,
बेराग जिंदगी में अब कोई धुन सुन पाता है क्या,
अब उन गलियों में आना भले न हो तेरा मगर,
यादों में कभी मुस्कुराकर...