...

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जिंदगी क्या है

यूँ तो कोई गम नहीं है
फिर भी खुशियों का अब वो शोर नही है
क्या ये सबको होता है
शायद हर कोई अकेले मे रोता है
पहले जो था वो अब क्यु नहीं है
और जो अब है वो कल क्यु नही होगा
इस दौर में ख़ामोशी हर किसी को
क्यु मिलती है
क्या जिंदगी जीने का तजुर्बा
हमे खुशियों से नहीं मिल सकती है
कल जब खबर न थी तब
सब साथ थे
आज जब खबर हुई तो
सब बहुत दूर दिखते
अब तो
ये शाम, ये सड़क, ये चाँद ही अपने है
और
कुछ लोग हैं ........
जो जिंदगी की राहों पर बस
जाते हुए दिखते हैं......