एक लंबा सफर
बड़ा लंबा है सफर मेरा
दूर नहीं और पास नहीं
मंज़िल कहाँ पता नहीं
रास्ता वहाँ जाता नहीं
सहरा है चारों तरफ़
साँसे मेरी थकी नहीं
धूप में चलता...
दूर नहीं और पास नहीं
मंज़िल कहाँ पता नहीं
रास्ता वहाँ जाता नहीं
सहरा है चारों तरफ़
साँसे मेरी थकी नहीं
धूप में चलता...