कितना अच्छा होता
जो तेरे साथ वो पहली मुलाकात ना होती
नजरे मिलाकर आंखें चार ना होती
वो तेरे हसीन चेहरे का मेरी आंखों को दिद ना होती
मुस्कान वो आशिकाना तेरे चेहरे पे जो न होती
यूं तेरे बालों को झट्टके जो तू समा ना बनाती
इशारों में जो तू मेरे इश्क का किताब ना लिखती
मेरा यूं तेरे पीछे दीवाना बन ना फिरना होता
ना ही मैं एक ही पल में हजार सपने बुनता
ना तेरे साथ मैं इश्क ए सफर दिल के किताब में बयान करता
ना तेरा मुझे छोड़ के यूं जाना होता
में भी बेफिक्र मैं...
नजरे मिलाकर आंखें चार ना होती
वो तेरे हसीन चेहरे का मेरी आंखों को दिद ना होती
मुस्कान वो आशिकाना तेरे चेहरे पे जो न होती
यूं तेरे बालों को झट्टके जो तू समा ना बनाती
इशारों में जो तू मेरे इश्क का किताब ना लिखती
मेरा यूं तेरे पीछे दीवाना बन ना फिरना होता
ना ही मैं एक ही पल में हजार सपने बुनता
ना तेरे साथ मैं इश्क ए सफर दिल के किताब में बयान करता
ना तेरा मुझे छोड़ के यूं जाना होता
में भी बेफिक्र मैं...