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कहानी जिंदगी की
कभी अंधेरे से डरता था आज अंधेरे में रहता है,
जो हमेशा भीड़ में रहता था अब भीड़ से डरता है।
अकेला रहा नहीं कभी अब अकेले में खुशी ढूंढता है,
रात भर जागता है और दिन के उजाले में ख्वाब देखता है ।
आज के लिए जीता ना जाने बीते कल को क्यों सोचता है,
चल पड़ता है सड़कों पर ना जाने किसको वहां खोजता है।
ये छोटी सी उम्र का लड़का हर जगह सुकून ढूंढता है,
रोज खामोशी की चादर ओढ़े अच्छे कल की आस में सोता है।
जो हमेशा भीड़ में रहता था अब भीड़ से डरता है।
अकेला रहा नहीं कभी अब अकेले में खुशी ढूंढता है,
रात भर जागता है और दिन के उजाले में ख्वाब देखता है ।
आज के लिए जीता ना जाने बीते कल को क्यों सोचता है,
चल पड़ता है सड़कों पर ना जाने किसको वहां खोजता है।
ये छोटी सी उम्र का लड़का हर जगह सुकून ढूंढता है,
रोज खामोशी की चादर ओढ़े अच्छे कल की आस में सोता है।
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