...

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'आज भी इंतज़ार है।
माना की अब बात नहीं होती
रोज़ -रोज़ मुलाकात नहीं होती,
शायद बदल गए हैं रास्ते अब
पर वो दौर है जो भुलाई नहीं जाती।

जो भी था वो अच्छा था
वक्त के साथ वो अपना था,
वो छिप-छिप कर निहारना भी
मानो न मानो पर सच्चा था।

दूर से देख कर खुश हो जाना
पास जाओ तो चुप हो जाना,
यह सब जरूरी था
क्योंकि तब भी तो दिल बच्चा था।

हां वक्त के साथ हम बदल गए
कुछ तुम भूले कुछ हम भूल गए,
पर डोर बंधे थे जो बिना पूछे
बोलो तुम वो टूट कैसे गए।

पूछूं भी तो क्यों पूछूं
जवाब तो मुझे भी पता है,
जिंदगी भी तो तुम्हारी है
बोलूं भी तो किस हक से?

खैर तुम चले गए कोई गम नहीं
पर शायद बताना जरूरी था,
माना कोई नाम नहीं है
पर फिर भी रिश्ता अपना था।

चलो छोड़ो भी वो पल गया
तुम तो बस खुस रहो,
कभी फिर से अगर दिख जाओ
बस वो हंसी तुम्हारे साथ हो।

चाहे फिर मिले या न मिले हम
महफूज यह यादें मेरे पास है,
आज भी याद आती हो तुम
और आज भी तुम्हारी इंतजार है।

© _musafir