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ख़ामोशी
इतनी ख़ामोश क्यों है ज़िन्दगी मेरी
थोड़ी जागी जागी सी है
थोड़ी सोई हुई सी ,
हेरान हूं परेशान हूं
करती है नादानियां मुझसे
कभी हंसाती है कभी रूलाती है
कभी ख़ामोश रहकर कुछ सोचने
को मजबूर करती है
कभी अपने आप से बातें करती है
कभी टकटकी लगाए निहारती हैं
दूर बहुत दूर उन अजनबी रास्तों को
जहां पर जाना नामुमकिन हो।।
थोड़ी जागी जागी सी है
थोड़ी सोई हुई सी ,
हेरान हूं परेशान हूं
करती है नादानियां मुझसे
कभी हंसाती है कभी रूलाती है
कभी ख़ामोश रहकर कुछ सोचने
को मजबूर करती है
कभी अपने आप से बातें करती है
कभी टकटकी लगाए निहारती हैं
दूर बहुत दूर उन अजनबी रास्तों को
जहां पर जाना नामुमकिन हो।।
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