...

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जो पीछे होता है वह सबसे आगे आ जाता है!
विवेकानंद ने जगह-जगह जाकर यही कहा कि मुझे देखकर मेरे गुरुदेव का आँकलन मत कर लेना, मुझे देखकर मेरे गुरुदेव के ज्ञान के बारे में सोच मत लेना, मैं तो उनके समक्ष कुछ हूँ ही नहीं, अहं तस्य दासानुदास- अथार्त " मैं तो उनके दासों का दास हूँ, और परिणाम ये...