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खोईशहरकीशांति
#खोईशहरकीशांति
एक शहर से चलें, एक शहर के लिए
सुबह हुई कहीं , दोपहर के लिए
सुकून देती यादों की,गठड़ी समेटती
व्यस्त सी धूप की ,चिलमिलाती रोशनी
जरूरत बसर के सहर के लिए
एक शहर से चलें ,एक शहर के लिए

ख्वाहिशों के लिए, ख्वाहिशें है छोड़नी
जोड़ने को अरमान, पड़ेगी भी तोड़नी
मुस्कुराहटों के पीछे यादें दबी हुई सी
चिलमिलाती धूप में बसर के लिए
एक शहर से चलें ,एक शहर के लिए।

© Gitanjali Kumari