...

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दौर कल और आज...
एक दौर पुराना जो बीत गया,
एक दौर हमारा जो हम जीते हैं,
उस दौर की अपनी ख़ूबी थी,
इस दौर की अपनी ख़ूबी है ।

वो दौर जो बीत गया,
उसमें अपनापन बिखरा था,
जो रिश्ते थे वो सच्चे थे,
रिश्तों में मर्यादा थी ।

संसाधनों की न्यूनता थी पर,
प्रेम,करुणा के खजाने थे,
ख़्वाहिशों के अंबार नहीं,
फ़र्ज़ से गृहस्थी चलती थीं ।

बुज़ुर्गो का सम्मान जन्हा था,
गृहस्थी में समृद्धि थी,
एक दौर पुराना जो बीत गया,
एक...