मातृत्व
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
आंखों में ममता का दरीया सा मंजर होता है।
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
हर तुफानों से लड़ते हुए जो आगे बढ़ जाये उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है।
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
सुखी रूखी अपने खाती बच्चों को दर्द नहीं देती।
अपने घर के तकलीफों को बिना थके हुए है वह ढोती।
मैला कुचला एक वस्त्र पहन फिर भी दिल सुन्दर होता है।
उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है।
उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
स्व रचित-अभिमन्यु (अभि)
आंखों में ममता का दरीया सा मंजर होता है।
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
हर तुफानों से लड़ते हुए जो आगे बढ़ जाये उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है।
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
सुखी रूखी अपने खाती बच्चों को दर्द नहीं देती।
अपने घर के तकलीफों को बिना थके हुए है वह ढोती।
मैला कुचला एक वस्त्र पहन फिर भी दिल सुन्दर होता है।
उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है।
उस मां का दिल ही नहीं बड़ा समंदर होता है
जिस घर में मां होती वह घर मंन्दिर होता है।
स्व रचित-अभिमन्यु (अभि)