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तुम मिलते नहीं
तुम रहबर हो
दिलबर हो मेरे,
मेरा प्यार हो,
फिर भी तुम हमें
मिलते नहीं हो?
जाने क्यों सताते हो?
उस अजनबी को
याद जो मैं करूं दिल
से उसके बदन की
खुशबू छू जाती है
वो दूर होकर भी
हर पल साथ निभा जाता है
तुम कौन हो एक बार ही
मिले दुबारा मिलते क्यों नहीं।
गर कहूं तुम मेरे वजूद हो
तो मै क्या हूं ? तुम्हारी
ढुंढती रहती जैसे काया
बिन मै बस परछाई हूं।
© Sunita barnwal
दिलबर हो मेरे,
मेरा प्यार हो,
फिर भी तुम हमें
मिलते नहीं हो?
जाने क्यों सताते हो?
उस अजनबी को
याद जो मैं करूं दिल
से उसके बदन की
खुशबू छू जाती है
वो दूर होकर भी
हर पल साथ निभा जाता है
तुम कौन हो एक बार ही
मिले दुबारा मिलते क्यों नहीं।
गर कहूं तुम मेरे वजूद हो
तो मै क्या हूं ? तुम्हारी
ढुंढती रहती जैसे काया
बिन मै बस परछाई हूं।
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