...

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मुस्कुराहट की लकीरें
मुस्कुराहट की लकीरें हमने होठों में खींच ली ,
दर्द छुपाने की वजह हमने ज़माने से सीख ली ,
अब कभी कभी मुस्कुरा लेते है हम ,
खुश रहने की कला हमने बेहिसाब सीख ली ,
दिल में गम लिए,होठो पे मुस्कराहट ,
अपने को बेवक़ूफ़ बनाने की कारीगिरी हमने सीख ली ,
महफ़िल में ना चाह कर भी ठाहाका लगाए फिरते है ,
अपने को ज़िंदादिल दिखाने की दस्तकारी हमने सीख ली !
© Shweta k Thapliyal