...

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intjaar ...
जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया
वैसे उड़ गया बचपन उसका

जैसे ढलता है सूरज शाम में
वैसे ढल गयी खुशिया उसकी

पूछा मैंने उससे भी ..
क्यों तुम इतना मुस्कुराती हो
खुश होने का कारन ना हो
फिर भी क्यों खुश हो जाती हो...

क्या बात है ये सपनो की तुम्हारी
तुम हमसे ही क्यों छुपाती हो....
देख के मुझको फिर वो मुस्कुरायी
और देख के प्यारी आँखों से
अपने दिल की बात सुनाई ..

बोली वो आँखों में आंसू लेकर ...
प्यार मिला ही नहीं आज तक
उसे करना है महसूस
उसी को है पाना
कैसा होता है प्यार
मैंने अभी तक ना जाना ....

कभी मिला नहीं माँ बाप
का प्यार ..
कभी देखा ही नहीं प्यार को ..
हम अनाथो की दुनिया में
कहा से लाये प्यार को ....

बचपन में ही सोचा था
कभी मेरा भी दिन आएगा....
आकर मेरी ज़िंदगी में
कोई मुझे भी ले जायेगा ...

कोई होगा इंतजार में मेरे
जिसके इंतजार में हु मै ..
इस अनाथो की दुनिया से मुझे
उड़ा कर ले जाएगा ...

पर आज तक खतम नहीं हुआ
इंतजार उसका
आज तक मै मुस्कुराती ही रह गयी और
वो आता ही रह गया...

उसकी इंतजार में आँखे बिछाये
शाम ढलती ही रह गयी
और फिर एक बार मै
मुस्कुराती ही रह गयी ....
और प्यार आता ही रह गया ....



© soft_y