intjaar ...
जैसे आकाश में उड़ती चिड़िया
वैसे उड़ गया बचपन उसका
जैसे ढलता है सूरज शाम में
वैसे ढल गयी खुशिया उसकी
पूछा मैंने उससे भी ..
क्यों तुम इतना मुस्कुराती हो
खुश होने का कारन ना हो
फिर भी क्यों खुश हो जाती हो...
क्या बात है ये सपनो की तुम्हारी
तुम हमसे ही क्यों छुपाती हो....
देख के मुझको फिर वो मुस्कुरायी
और देख के प्यारी आँखों से
अपने दिल की बात सुनाई ..
बोली वो आँखों में आंसू लेकर ...
प्यार...
वैसे उड़ गया बचपन उसका
जैसे ढलता है सूरज शाम में
वैसे ढल गयी खुशिया उसकी
पूछा मैंने उससे भी ..
क्यों तुम इतना मुस्कुराती हो
खुश होने का कारन ना हो
फिर भी क्यों खुश हो जाती हो...
क्या बात है ये सपनो की तुम्हारी
तुम हमसे ही क्यों छुपाती हो....
देख के मुझको फिर वो मुस्कुरायी
और देख के प्यारी आँखों से
अपने दिल की बात सुनाई ..
बोली वो आँखों में आंसू लेकर ...
प्यार...