...

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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी से अभी और लड़ना हैं, दोबारा उठकर चलना हैं
ख़ामोश हूं कहीं दिनो से, थोड़ा दोस्तों से मिलना हैं

कहीं कुछ उम्मीदें तो नहीं रहीं हैं अब
लेकिन दिल थाम के आगे बढ़ना हैं
ज़रूरत पड़े तो कुछ बातें बोलनी हैं
कुछ जज़्बात बहलाने हैं
कुछ फ़रियाद करनी हैं
कुछ सवाल दोहराने हैं
ज़िन्दगी में बस अब रुकना नहीं हैं

दिन ढलते ही सूरज जैसे निकल पड़ता हैं
वैसे हर सुबह तुम्हे याद ना करते निकलना हैं
ज़िन्दगी के इस सफ़र में थोड़ा ख़ुदग़र्ज़ होना हैं
थोड़ी और रफ़्तार बढ़ाकर कुछ कर गुजरना हैं

कुछ बातें सीने से लग गईं हैं
उन्हें पीछे जाकर संवारना हैं
कुछ ख्वाबों ने उम्मीद छोड़ दी हैं
उन्हें तसल्ली दे कर पूरा करना हैं

बस जिंदगी को
सही वक़्त पे
सही लोगों के साथ
फिर से शुरू करना हैं
...संपदा
© Sampada